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Lirik Lagu Shlovij – 6 – Aatma Sanyam (आत्म संयम)


By: Admin | Artist: S shlovij | Published: 2024-05-07T16:26:16:00+07:00
Lirik Lagu Shlovij – 6 – Aatma Sanyam (आत्म संयम)Lirikku.ID - Lirik Lagu Shlovij – 6 – Aatma Sanyam (आत्म संयम): Halo Lirikku.ID, Dalam konten ini, kami menyediakan chord gitar untuk lagu "Lirik Lagu Shlovij – 6 – Aatma Sanyam (आत्म संयम)" yang dinyanyikan oleh Toton S shlovij. Dengan chord yang disajikan, pemula atau penggemar musik dapat dengan mudah memainkan lagu ini dengan gitar mereka sendiri. Kami menyajikan chord dengan akurasi tinggi sehingga pemain dapat mengikuti alunan musiknya dengan baik. Juga, kami akan memberikan informasi tambahan mengenai lirik lagu dan mungkin beberapa tips untuk menyempurnakan permainan gitar. Konten ini cocok untuk penggemar musik yang ingin belajar lagu baru atau bagi mereka yang ingin menikmati kesenangan bermain musik dengan gitar. Silahkan disimak Lirik Lagu Shlovij – 6 – Aatma Sanyam (आत्म संयम) Berikut Dibawah ini untuk Selanjutnya.

एक वारी फिर से आया सब गीता का अध्याय सुनो
नाम आत्म संयम योग और छठां है ये अध्याय सुनो
योग योगी की विशेषता का वर्णन स्वयं श्री कृष्ण कहें
अर्जुन की दुविधा का हल भी श्री कृष्ण फिर से बतलाएँ सुनो।।

verse १:~
कृष्ण बोले अर्जुन से वही असली सन्यासी
कर्म करे जो फल की इच्छा रखता ना जरा भी
जिसको कहते सन्यास अर्जुन उसी को योग जान
इच्छा का त्याग अर्जुन यानि सन्यास ही।।
योगी जिस पल करता सब कामनाओं का त्याग
असली योगी की कोटि में आ जाता अपने आप
स्वयं को खुद ही कर्मों के बंधन से करना दूर
स्वयं के मित्र व दुश्मन होते हम स्वयं आप।।

खुद का वो मित्र है अर्जुन जिसने है मन को जीता
और वो है खुद का शत्रु जिसको है मन ने जीता
कैसी भी परिस्थिति हो रहे मगर जो एक ही भाव में
सोना, माटी समान, लिए उसके, योगी बन जो जीता।।
सुन अर्जुन बतलाता हूं कैसे बैठे ध्यान में
भूमि हो साफ, समतल आसान हो ये ध्यान दे
सिर गले व शरीर को रख कर समान, स्थिर करने को मन, आँखों से नाक पर ही ध्यान दें।।

योगी के मन में होना चाहिए ना कोई भय का भाव
अंत:करण हो एकदम शांत, हो शांत स्वभाव
मन में हो शांति, ढूंढें खुद में स्वरूप मेरा
है यही योगी की अवस्था, ये कर्म प्रभाव।।
किसी भी कार्य में, हे अर्जुन जो ना करता अति
निष्ठा से कर्म जो करता ना होती उसकी क्षति
छूटे हर मोह से और रम जाए बस योग में
मिल जाते उसके ईश्वर, उसकी होती ना कभी दुर्गति।।
chorus:~
एक वारी फिर से आया सब गीता का अध्याय सुनो
नाम आत्म संयम योग और छठां है ये अध्याय सुनो
योग योगी की विशेषता का वर्णन स्वयं श्री कृष्ण कहें
अर्जुन की दुविधा का हल भी श्री कृष्ण फिर से बतलाएँ सुनो।।
एक वारी फिर से आया सब गीता का अध्याय सुनो
नाम आत्म संयम योग और छठां है ये अध्याय सुनो
योग योगी की विशेषता का वर्णन स्वयं श्री कृष्ण कहें
अर्जुन की दुविधा का हल भी श्री कृष्ण फिर से बतलाएँ सुनो।।

verse २:~
जिन सुख को जानते हम वो होते क्षणिक
हो साधना में लीन मन ना विचलित हो तनिक
धरती पर सबसे बड़ा लाभ परमात्मा प्राप्ति
ये दुनिया है भवसागर यहाँ खुशियां हैं क्षणिक।।
इस दुनिया के दुःख से जो अलग वो है अर्जुन योग
संयोग और वियोग से परे जो वो है योग
पाने को योगी काया करना पड़ता है अभ्यास
दो त्याग सारे मोह तभी प्राप्त होगा योग।।

मन चंचल है ना रुकता पर आ जाता वो भी वश में
अर्जुन हो जा तैयार तू है कैसी कश्मकश में
हमारे चारों तरफ फैली अनंत चेतना
समभाव हो इसी में, मन लगा, हूं कहता बस मैं।।
उठा सवाल ईश्वर है तो फिर क्यों दिखता नहीं
बोले माधव, हो देखना गलत तो दिखता नहीं
इस दुनिया में अनेकता, ईश्वर को चाहिए एकता
जो देखे सब समान उसको ईश्वर दिखता भई।।
अर्जुन पूछे चंचल मन को कैसे वश में लाऊँ
माधव दें जवाब, नित अभ्यास महाबाहु
अर्जुन पूछे योग से मन विचलित जिसका हो गया
उस साधक का क्या होगा प्रभु?
पूछना मैं चाहूं।।
अर्थात चला योग राह पर, पर पूरा कर ना पाया
भटक गया वो बीच में ही आगे बढ़ ना पाया
बोले श्री कृष्ण, वो कहलाता योग भ्रष्ट
उसकी प्राप्त होता स्वर्ग, संयम खुद पर जो भी कर ना पाया।।

क्योंकि थी राह उसने चुनी ईश्वर पाने की
चंचल मन भटका आवश्यकता ना घबराने की
चुनी थी जिसने योग राह पिछले जन्म में
अगला जन्म तैयारी ईश्वर के करीब जाने की।।
शास्त्रों का ज्ञान रखने वालो से भी श्रेष्ठ योगी
तपस्वी साधक से भी ज्यादा सुन तू श्रेष्ठ योगी
जितने भी योगी भजते, मुझको हैं अंतर्मन से
सुन अर्जुन, प्रिय मुझे वो, उन्हें योग की प्राप्ति होगी।।

chorus:~
एक वारी फिर से आया सब गीता का अध्याय सुनो
नाम आत्म संयम योग और छठां है ये अध्याय सुनो
योग योगी की विशेषता का वर्णन स्वयं श्री कृष्ण कहें
अर्जुन की दुविधा का हल भी श्री कृष्ण फिर से बतलाएँ सुनो।।


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