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2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij Lyrics


By: Admin | Artist: S shlovij | Published: 2024-25-09T20:21:30:00+07:00
2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij LyricsLirikku.ID - 2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij Lyrics: Halo Lirikku.ID, Dalam konten ini, kami menyediakan chord gitar untuk lagu "2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij Lyrics" yang dinyanyikan oleh Toton S shlovij. Dengan chord yang disajikan, pemula atau penggemar musik dapat dengan mudah memainkan lagu ini dengan gitar mereka sendiri. Kami menyajikan chord dengan akurasi tinggi sehingga pemain dapat mengikuti alunan musiknya dengan baik. Juga, kami akan memberikan informasi tambahan mengenai lirik lagu dan mungkin beberapa tips untuk menyempurnakan permainan gitar. Konten ini cocok untuk penggemar musik yang ingin belajar lagu baru atau bagi mereka yang ingin menikmati kesenangan bermain musik dengan gitar. Silahkan disimak 2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij Lyrics Berikut Dibawah ini untuk Selanjutnya.

एक बारी फिर से है सबको मेरा प्रणाम
अध्याय शुरू दूसरा, है सांख्य योग नाम
अर्जुन की कायरता और भ्रम का इसमें है विश्लेषण
अर्जुन के सारे भ्रम का उत्तर देंगे श्री श्याम।।

दुःख से घिरे अर्जुन श्री कृष्ण को निहारे
नपुंसक ना बन अर्जुन, कृष्ण उनको हैं समझारे
उचित नहीं समय है यह सब करने का हे अर्जुन
धनुष उठालो तुमको कुरुक्षेत्र है पुकारे।
अर्जुन बोले जिनसे सब सीखा, उन पर कैसे तानुं बाण
क्या होगा प्राप्त अपने ही गुरुजनों को मार
जीत के हासिल सब होगा, दुःख मन से ना मरेगा
कहते, पता भी नहीं, हिस्से में जीत या हार।।

आँखों से देख,संजय बतलाते धृतराष्ट्र को
अश्रु बहारे अर्जुन, पकड़े है ललाट को
समझारे कृष्ण यह सब काल का है फेर
जो है इस पल, अगले पल वो ना होगा, समझ ले बात को।
इन्द्रियां वश में कर महसूस ना कर भाव को
लहरों के बीच ना किनारा मिलता नाव को
सुख दुःख समान है,जो आता जाता रहता
सबसे बड़ा सच है आत्मा, समझ उसके प्रभाव को।

आयु शरीर की होती है, ना कि आत्मा की
रहती हर काल में है आत्मा, ना मर वो सकती
इसका स्वरूप है अव्यक्त परे इन्द्रियों से
इसका ना दूसरा उदाहरण, है अमर वो शक्ति।
अर्जुन ना शोक कर, जो तय है वो तो होगा ही
जीवन का सच, जो आया उसको जाना होगा भी
समझना आत्मा को बेहद मुश्किल कार्य
है समझना अगर तो मोह से बाहर निकलना होगा ही।।
मर नहीं सकती आत्मा तो फिर से शोक कैसा?
निर्णय लेने के बाद, बाहुबल पर रोक कैसा?
है खुला द्वार स्वर्ग का ये युद्ध सुनले अर्जुन
धर्म का युद्ध हारा भी तो स्वर्ग लोक जैसा।
सुनो अर्जुन बताता हूं अब कर्मयोग की बात
समझ कर इसको थोड़ा भी काबू करना जज्बात
कोई भी ऐसा कार्य जिसमें ढूंढे सब लाभ
वो कर्मयोग नहीं, कहलाता है वो केवल स्वार्थ।

वेद भी सीमित तीन गुणों में, ये उससे आगे
कर्म का खेल सबसे बड़ा, ना कोई उसके आगे
कर्म करो लेकिन सिर्फ लाभ पाने खातिर नहीं
हे अर्जुन, समझो कर्मयोग, अपना भय भगाके।
कर्म के फल की इच्छा ना कर, अपना निभा धर्म
अच्छा*बुरा, सुख*दुख , सब भूल अपना निभा कर्म
फल का ना मोह रख, वो भटकाएगा लक्ष्य से
तू सारी इच्छा शक्ति, ध्यान लगा के, बस दिखा कर्म।

बुद्धि को करके स्थिर सारा लगा दो ध्यान
बोले अर्जुन, जो स्थिर होते उनकी क्या पहचान?
बोले माधव, हे अर्जुन, गुस्सा, डर और प्रेम को
जो देखे एक ही भाव से, वो ही स्थिरता की पहचान।
इच्छाएँ मन की मार, कर दे सारा मोह त्याग
बढ़ाती कामना इच्छाएँ, होता ज्ञान नाश
इच्छा जागी जो मन में, तो जागी इन्द्रियां भी
बुद्धि ना वश में रहती, होता स्थिरता ह्रास।
स्थिर बुद्धि वाले पुरुष में सारे भोग समाते
कहलाते योगी वो, जब सोते सब, खुद को हैं जगाते
दुनिया में रहकर भी, दुनिया से अलग जो अपनी धुन में
होते सफल वो, क्योंकि इन्द्रियों पर वश हैं पाते।
हे अर्जुन कर लेते जो बुद्धि स्थिर कर्मयोग में
होते ना विचलित वो,और निश्चित ही सफलता पाते
पा लेते ब्रह्म जो रखते मन को स्थिर कर्मयोग में
यही है सांख्य योग, श्री माधव अर्जुन को बतलाते।।

जय श्री कृष्णा


Saksikan Video 2 - Sankhya Yog (संख्या योग) - Shlovij Lyrics Berikut ini..


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